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ग्राम पंचायत कुड़कई के सचिव संतराम यादव पर लगाए गए आरोप बेबुनियाद — ठेका प्रक्रिया में सचिव की नहीं रही कोई भूमिका

ग्राम पंचायत कुड़कई के सचिव संतराम यादव पर लगाए गए आरोप बेबुनियाद — ठेका प्रक्रिया में सचिव की नहीं रही कोई भूमिका

पेंड्रा// ग्राम पंचायत कुड़कई में पशु पंजीयन ठेका प्रकरण को लेकर हाल ही में उठे विवाद में सचिव यादव ने अपना पक्ष स्पष्ट करते हुए कहा है कि उन पर लगाए जा रहे सभी आरोप पूरी तरह निराधार और भ्रामक हैं। उन्होंने कहा कि जिस समय ठेका प्रक्रिया संपन्न हुई, उस दौरान वे हड़ताल पर थे और ठेका देने या राशि वसूलने की किसी भी प्रक्रिया में उनकी कोई भूमिका नहीं रही।

सचिव संतराम यादव ने बताया कि वर्ष 2024-25 के ठेका प्रकरण में भी उन्होंने संबंधित जानकारी जनपद अधिकारियों को दी थी। उनका कहना है कि ठेका राशि की वसूली और अनुबंध की निगरानी का कार्य पंचायत प्रतिनिधियों और संबंधित प्राधिकरणों के अधीन होता है, न कि सचिव के। उन्होंने कहा कि वे मात्र अभिलेख संधारण और शासन निर्देशों के अनुसार प्रशासनिक कार्यवाही तक ही सीमित रहते हैं।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वर्तमान वर्ष के पशु पंजीयन ठेका की संपूर्ण प्रक्रिया सरपंच, उपसरपंच, पंचगण एवं ग्राम के वरिष्ठ नागरिकों की उपस्थिति में हुई। उस समय वे हड़ताल पर थे, इसलिए निविदा प्रक्रिया या ठेका संबंधी किसी भी दस्तावेज में उनके हस्ताक्षर या स्वीकृति नहीं है।

संतराम यादव ने आगे कहा कि “निविदा जारी करने के बाद मैं हड़ताल पर चला गया था। इसके बाद संपूर्ण कार्यवाही सरपंच,उपसरपंच, पंचों और ग्राम के वरिष्ठ नागरिकों की देखरेख में हुई थी।” उन्होंने यह भी कहा कि यदि निविदा को लेकर किसी को कोई आपत्ति थी, तो ग्रामीणों ने बोली के दिन विरोध क्यों नहीं किया,अब देर से आरोप लगाने का क्या औचित्य है?

सचिव ने यह भी कहा कि वे शासन के कर्मचारी हैं और उनका कार्य केवल सरकारी निर्देशों के अनुसार रिकॉर्ड संधारण, फाइल प्रक्रिया और पत्राचार संचालन तक सीमित है। ठेका राशि की वसूली या आवंटन का निर्णय पूरी तरह सरपंच और जनपद स्तर के अधिकारियों का विषय होता है।

उन्होंने कहा —“मैंने हमेशा अपने दायित्वों का निर्वहन ईमानदारी से किया है। पंचायत निधि के किसी भी दुरुपयोग में मेरी कोई संलिप्तता नहीं है। यदि जांच होती है, तो मैं पूर्ण सहयोग दूंगा, ताकि सत्य सामने आ सके।”

ग्रामीणों के आरोपों के बीच सचिव ने यह भी अपील की कि बिना तथ्यात्मक जानकारी के किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को दोषी ठहराना उचित नहीं है। उन्होंने प्रशासन से आग्रह किया कि यदि जांच होती है, तो निष्पक्ष रूप से सभी दस्तावेजों और जिम्मेदार व्यक्तियों की भूमिका की जांच की जाए ताकि सच्चाई सामने आ सके।

यह स्पष्ट है कि ठेका प्रक्रिया और राशि वसूली से संबंधित सभी निर्णय पंचायत प्रतिनिधियों एवं स्थानीय स्तर के जिम्मेदार व्यक्तियों द्वारा लिए गए थे। सचिव संतराम यादव का नाम इस प्रकरण में केवल गलतफहमी या अपूर्ण जानकारी के कारण जोड़ा गया है।

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