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16 लाख गड़बड़ी मामले में एक कर्मचारी पर कार्यवाही कर औपचारिकताएं पूरी करने की कोशिश,न राशियों की रिकवरी हुई और न बड़े अधिकारियों पर कार्यवाही


16 लाख गड़बड़ी मामले में एक कर्मचारी पर कार्यवाही कर औपचारिकताएं पूरी करने की कोशिश,न राशियों की रिकवरी हुई और न बड़े अधिकारियों पर कार्यवाही 

 मुंगेली जिले के विकासखण्ड पथरिया इन दिनों खासे चर्चा में है। गौरतलब हो कि जनपद पंचायत पथरिया में सुशासन तिहार के नाम पर करीब 17 लाख की गड़बड़ी का मामला उजागर हुआ है। उक्त मामले में महज एक कर्मचारी पर कार्यवाही कर पुरे मामले में पर्दा डालने का प्रयास किया गया है। अधिकारी कर्मचारियों की मानें तो अभी जांच जारी है और आगे अन्य दोषियों के खिलाफ कार्यवाही हो सकती है। अब देखना होगा कि  संबंधित अधिकारी किस तरह की कार्यवाही करते हैं। 

क्या राशियों की होगी रिकवरी...?

 उक्त राशियों को लेकर उच्चाधिकारियों द्वारा अब तक किसी तरह का आदेश निर्देश नहीं दिया गया है जिससे संबंधित पंचायतों को उक्त राशि वापस मिल सके।

ये है मामला -

👉 सुशासन तिहार के नाम पर अनियमिता पर संकाय सदस्य की सेवा समाप्त कर दी गई है

👉 64 ग्राम पंचायतों में डिजिटल सिग्नेचर के दुरूपयोग से किए गए थे 16 लाख रूपए से अधिक के भुगतान

👉 उक्त भुगतान को लेकर पार्षद/पत्रकार दीपक साहू ने कलेक्टर जनदर्शन में शिकायत की थी। इसके बाद जांच में बड़े खुलासे हुए थे जिनमें जिला प्रशासन ने कार्यवाही की है।

जानकारी के मुताबिक जिला पंचायत अंतर्गत जनपद पंचायत पथरिया के विभिन्न ग्राम पंचायतों में सुशासन तिहार के नाम पर डिजिटल सिग्नेचर के माध्यम से अनियमित भुगतान किए जाने के गंभीर मामले में कार्रवाई करते हुए जिला प्रशासन ने संकाय सदस्य अनिल अमादिया की सेवा समाप्त कर दी है। कलेक्टर कुन्दन कुमार के निर्देशानुसार जिला पंचायत सीईओ प्रभाकर पाण्डेय ने शासन के निर्देशों और जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर यह कार्रवाई की है।

      प्राप्त जानकारी के अनुसार, जिले के जनपद पंचायत पथरिया अंतर्गत 64 ग्राम पंचायतों में ‘‘सुशासन तिहार’’ के नाम पर 16 लाख 09 हजार 700 रूपए की राशि का अनियमित भुगतान किया गया था,जो वित्तीय अनियमितता की श्रेणी में आता है। इस मामले की प्रारंभिक जांच में अनियमितता की पुष्टि हुई थी,जिसके पश्चात विस्तृत जांच करवाई गई। जांच में पाया गया कि पंचायत प्रस्ताव के बिना सहमति के 64 ग्राम पंचायतों में उक्त राशि का अनियमित भुगतान किया गया, जो कि घोर लापरवाही एवं वित्तीय अनियमितता तथा अपराध की श्रेणी में आता है। संकाय सदस्य अमादिया द्वारा ई-ग्राम स्वराज पोर्टल में ग्राम पंचायतों के ई-मेल के स्थान पर जनपद पंचायत का ई-मेल डाला गया,ताकि भुगतान जनपद पंचायत के ई-मेल आइडी में ओटीपी के माध्यम से किया जा सके।

     जांच में डिजीटल सिग्नेचर का दुरूपयोग करते हुए अनियमित भुगतान किया जाना पाया गया। इस संबंध में अनिल अमादिया को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। नोटिस का जवाब संतोषजनक नहीं पाए जाने पर छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (संविदा नियुक्ति) नियम 2012 के अंतर्गत संकाय सदस्य पद से उनकी सेवा तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी गई है। 

परंतु ये सोचनीय विषय है कि एक के बाद एक 64 ग्राम पंचायतों से 25000-25000  का भुगतान कर दिया गया जहां संबंधित उच्च अधिकारियों ने इन पर अनभिज्ञता जाहिर कर दी जो समझ से परेय है। किसी संस्थान में इतनी बड़ी गड़बड़ी अकेले एक कर्मचारी द्वारा कर पाना संभव नहीं है और तब जब स्वयं संस्थान में उच्चाधिकारी मौजूद हो। संबंधित अधिकारी की मौजूदगी में ऐसी गड़बड़ी का होना दुसरी ओर इशारा कर रही है। अब देखना होगा कि जांच का दायरा कहां तक जाता है।

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