07 जनवरी 2024:राजस्व निरीक्षक प्रशिक्षण विभागीय परीक्षा रायपुर के 6 परीक्षा केंद्रों में पर्यवेक्षकों एवं केंद्राध्यक्षों की उपस्थिति में संपन्न हुई
🔹16 जनवरी 2024: राजस्व निरीक्षक प्रशिक्षण विभागीय परीक्षा वर्ष 2024 के मॉडल आंसर जारी किए गए
🔹29 जनवरी 2024:
राजस्व पटवारी संघ द्वारा परीक्षा संचालन की प्रक्रिया पर आपत्ति दर्ज करते हुए आरोप लगाए गए कि कई चयनित अभ्यर्थी एक-दूसरे के पारिवारिक रिश्तेदार हैं। उच्च स्तरीय जांच 5 बिंदुओं में करने की मांग शासन से किया
साथ ही राजस्व पटवारी संघ द्वारा विधिवत परीक्षा आयोजन के पश्चात एवं विभागीय परीक्षा में सम्मिलित होने के बाद भी माननीय राजस्व मंत्री टंक राम वर्मा को वरिष्ठता के आधार पर पटवारियों को राजस्व निरीक्षक पद पर पदोन्नति देने की मांग यह दर्शाता हैं कि वे आयोजित परीक्षा से नाखुश थे और दिनांक 16.01.2025 को राजस्व निरीक्षक विभागीय परीक्षा वर्ष 2024 के मॉडल उत्तर जारी होने के पश्चात शिकायत कर्ताओं को जब यह प्रतीत हो गया कि उनका इस परीक्षा में चयन होना संभव ही नहीं तब उन्होंने इस परीक्षा को कैसे भी करके निरस्त करवाने की योजना बनाई और समस्त प्रकार की मनगढ़ंत शिकायत करना प्रारंभ किए
🔹29 फरवरी 2024:: राजस्व निरीक्षक प्रशिक्षण विभागीय परीक्षा वर्ष 2024 के परीक्षा परिणाम जारी किए गएl
🔹11 मार्च 2024: राजस्व निरीक्षक प्रशिक्षण विभागीय परीक्षा वर्ष 2024 को निरस्त कराने हेतु माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर में याचिका WPS 1832 OF 2024 दायर की गई
🔹16 अप्रैल 2024: माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर द्वारा WPS 1832 ऑफ 2024 में शिकायत कर्ताओं द्वारा लगाए गए याचिका को खारिज करते हुए कहा परीक्षा का संचालन नियमानुसार हुआ है
🔹 05 अगस्त 2024: विभाग द्वारा परीक्षा में चयनित अभ्यर्थियों के 5 वर्ष पूर्ण होने का प्रमाण समस्त जिला कलेक्टर से मांगा गया
🔹 23 अगस्त 2024:
छत्तीसगढ़ शासन राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने राजस्व निरीक्षक प्रशिक्षण विभागीय परीक्षा वर्ष 2024 के जांच हेतु एक 5 सदस्यीय उच्च स्तरीय जांच कमेटी का गठन किया तथा उन्हें 15 दिनों के भीतर इस परीक्षा में हुई अनियमितता की जांच करके जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने आदेशित किया गया
🔹 23 अक्टूबर 2024:
विभाग द्वारा जिला कलेक्टरों से प्राप्त जानकारी के आधार पर समस्त चयनित अभ्यर्थियों के 5 वर्ष पूर्ण होने का सत्यापन कर पात्रता सूची जारी की गई
🔹 26 नवंबर 2024:
जांच समिति के गठन से लगभग 3 महीने बीत जाने पर भी जब कोई रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं किया गया तब 4 चयनित अभ्यर्थियों द्वारा माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर में याचिका WPS 7889 of 2024 दायर की जिसमें सचिव राजस्व विभाग, संचालक राजस्व विभाग, आयुक्त भू अभिलेख एवं उच्च स्तरीय जांच कमेटी को पार्टी बनाया गया जिसकी प्रथम सुनवाई दिनांक 02.12.2024 को की गई थे और शासन को जनवरी के दूसरे सप्ताह तक अपनी बात एवं। जवाब प्रस्तुत करने का पर्याप्त समय प्रदान किया था
🔹 29 नवंबर 2024: उच्च न्यायालय बिलासपुर में याचिका दायर होते ही 3 दिनों के अंदर ही दिनांक 29.11.2024 को केडी कुंजाम समिति ने अपना जांच प्रतिवेदन तैयार कर दिनांक 02.12.24 को सामान्य प्रशासन को जमा कर दी चूंकि यह रिपोर्ट हड़बड़ी में बनाई गई इसलिए इसमें बहुत सारी तथ्यात्मक त्रुटियां थी चयनित अभ्यर्थियों को प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का पालन किए बगैर बिना बयान तथा बिना परीक्षा केंद्रों के अभ्यर्थियों के बैठक व्यवस्था की जांच व पर्यवेक्षकों केंद्राध्यक्षों के बयान लिए बिना ही रिपोर्ट में चयनित अभ्यर्थियों के खिलाफ तथ्य दिए गए
राजस्व पटवारी संघ के द्वारा पूर्व के दिनांक 29.1.2024 में दिए गए अपने ज्ञापन में 5 बिंदुओं में परीक्षा संचालन एवं परीक्षा की प्रक्रिया के संबंध में शिकायत किया गया था परन्तु माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर द्वारा WPS 1832 ऑफ 2024 में परीक्षा संचालन एवं प्रक्रिया को सही बताए जाने के बाद राजस्व पटवारी संघ के पदाधिकारियों ने अपने शिकायत का स्वरूप बदलकर परीक्षा में गड़बड़ी या धांधली कर दी इससे स्पष्ट है कि पटवारी संघ के पदाधिकारियों ने जान बूझकर परीक्षा को निरस्त कराने हेतु शिकायत का स्वरूप ही बदल दिया
कुंजाम समिति द्वारा प्रस्तुत जांच प्रतिवेदन की तथ्यात्मक त्रुटियां
1. जांच समिति ने शिकायत में उल्लेखित अभ्यर्थियों को सुनवाई का मौका दिए बिना केवल शिकायतकर्ता के बयान लिए और एक तरफा निष्कर्ष निकाला
2. जांच समिति ने अपने प्रतिवेदन के उच्च स्तरीय जांच समिति के निष्कर्ष बिंदु क्रमांक 3 में कहा कि राजस्व निरीक्षक विभागीय परीक्षा 2024 में पूर्व वर्ष में हुए विभागीय परीक्षा की भांति OMR Sheet इस्तेमाल किया गया था जिसमें मोबाइल नंबर आदि जानकारी पूर्व परीक्षाओं की भांति उल्लेखित थी अर्थात विभागीय परीक्षा 2024 में कुछ नई जानकारी नहीं मांगी गई थी यह OMR शीट पूर्व परीक्षाओं की भांति थी शिकायत कर्ताओं ने पूर्व वर्षों में भी विभागीय परीक्षाओं में भाग लिया था परन्तु उन्हें तब कोई आपत्ति नहीं थी केवल विभागीय परीक्षा 2024 में ही इस जानकारी को देने से आपत्ति हुई
3. उच्च स्तरीय जांच समिति के निष्कर्ष बिंदु क्रमांक 4 में कहा गया है कि शिकायत में उल्लेखित 7 पटवारियों के अनुक्रमांक परीक्षा केंद्रों परीक्षा फल की जानकारी से ज्ञात होता है कि 7 मैसे से केवल 3 पटवारी ही परीक्षा में चयनित हुए बाकी 04 चयनित नहीं हुए इससे स्पष्ट था कि शिकायतकर्ताओं के शिकायत झूठे थे जान बूझकर 7 पटवारियों के खिलाफ बिना किसी प्रकार की सबूत और प्रारंभिक जांच किए पटवारी संघ के पदाधिकारियों ने दुर्भावना पूर्वक पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर चयन परीक्षा पर सवाल उठाएं
4. उच्च स्तरीय जांच समिति के निष्कर्ष बिंदु क्रमांक 5 है कहा गया है कि “शिकायत में उल्लेखित पारिवारिक रूप से संबंधित अभ्यर्थियों के विभाग द्वारा प्रदाय जानकारी अनुसार 22 अभ्यर्थियों को आस पास अनुक्रमांक प्रदान किए गए तथा वे समस्त चयनित हुए” इस तथ्य को समिति ने बिना अभ्यर्थियों के बयान तथा बिना चयन परीक्षा के चयन सूची , परीक्षा केंद्रों के बैठक व्यवस्था की जांच और परीक्षा केंद्रों में उपस्थित पर्यवेक्षकों व केंद्राध्यक्षों के बयान लिए बिना ही निष्कर्षित किया और 22 अभ्यर्थियों के छबि सामाजिक रूप से धूमिल किया l जबकि सच्चाई यह है कि इस विभागीय में 72 पारिवारिक रूप से संबंधित अभ्यर्थी सम्मिलित हुए थे जिसमें मात्र 13 पारिवारिक रिश्तेदार सफल होते है और उन 13 सफल अभ्यर्थियों के परीक्षा केंद्रों के बैठक व्यवस्था की जांच करने पर स्पष्ट है कि केवल 1 पारिवारिक रिश्तेदार को आगे पीछे अनुक्रमांक 241797 एवं 241798 प्राप्त हुआ है तथा 59 पारिवारिक रिश्तेदार चयनित नही हुए इन पारिवारिक रूप से संबंधित असफल अभ्यर्थियों में से 36 अभ्यर्थी आगे पीछे बैठे थे फिर भी परीक्षा में चयनित नहीं हुए है फिर भी उच्च स्तरीय जांच कमेटी ने केवल 22 अभ्यर्थियों के बिना बयान बिना परीक्षा फल की जांच एवं बिना परीक्षा केंद्रों के सीटिंग अरेंजमेंट और पर्यवेक्षकों केंद्राध्यक्षों के बयान बिना अपना निष्कर्ष दिया हैl यहां यह उल्लेख करना भी आवश्यक है कि राजस्व निरीक्षक विभागीय परीक्षा वर्ष 2024 में परीक्षा संचालन कर्ताओं ने पिता के नाम के आधार पर अभ्यर्थियों को अनुक्रमांक प्रदान किया अर्थात पिता के नाम पर रेंडमाइजेशन किया था l
फिर भी जांच समिति ने बिना रेंडमाइजेशन करने वाले अधिकारी कर्मचारी या किसी तकनीकी विशेषज्ञ के बयान लिए बिना ही यह निष्कर्ष निकाला कि रेंडमाइजेशन का अनुसरण नहीं किया है
जांच समिति ने जिन 22 अभ्यर्थियों को पारिवारिक रूप से संबंधित बताया है उनके स्पष्ट नाम नहीं बताए है फिर भी RTI से प्राप्त जानकारी अनुसार जिन 22 अभ्यर्थियों की जानकारी विभाग ने उच्च स्तरीय जांच समिति को भेजी थी उसमें केवल 10 अभ्यर्थी हो पारिवारिक रूप से संबंधित हैं और उन 10 अभ्यर्थियों में केवल 1 पारिवारिक रिश्तेदार अनुक्रमांक 241797 एवं 241798 आगे पीछे बैठे थे बाकी अन्य अभ्यर्थियों के बीच में बहुत अंतराल है कई तो अलग अलग कक्षों में बैठे थे l
उपरोक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि उच्च स्तरीय जांच समिति ने इस बिंदु पर कोई जांच की ही नहीं है और बिना जांच के निष्कर्ष क्रमांक 05 में शिकायत कर्ताओं के ही शब्द प्रतिवेदित कर दी जो जांच अधिकारियों के जांच प्रक्रिया पर निश्चित ही एक सवाल उठाते है
5. जांच समिति ने अपने अंतिम निष्कर्ष बिंदु क्रमांक 10 में यह बात स्पष्ट भी किया है कि शिकायत कर्ताओं द्वारा कोई ठोस साक्ष्य सबूत प्रस्तुत नहीं किए गए एवं राजस्व निरीक्षक विभागीय परीक्षा 2024 का संचालन पूर्व वर्षों की भांति भू अभिलेख में उल्लेखित प्रावधानों के अनुरूप नियमानुसार आयोजित की गई है अर्थात शिकायतकर्ताओं ने कोई ठोस साक्ष्य या सबूत के बिना ही इस परीक्षा को धांधली बताया और सिर्फ परीक्षा को निरस्त कराने हेतु कुछ भी शिकायत दर्ज कराया तथा शासन ने बिना कोई ठोस साक्ष्य या सबूत बिना ही आज इस परीक्षा में गड़बड़ी हुई करके चयनित अभ्यर्थियों के प्रशिक्षण को रोककर उनके पदोन्नति के अधिकार से भी वंचित कर दिया
जांच समिति ने इसी निष्कर्ष बिंदु क्रमांक 10 में अंतिम में यह कहा कि “परीक्षा संचालन में उपरोक्तानुसार त्रुटियां विद्यमान है जिस पर आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रतिवेदन प्रशासकीय विभाग को अग्रेषित किया गया है” जबकि माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर ने WPS 1832 OF 2024 में स्पष्ट आदेशित किया था कि एक बार परीक्षा में खुली आंखों से सम्मिलित होने के पश्चात परीक्षार्थी परीक्षा संचालन एवं उसकी प्रक्रिया पर सवाल नहीं उठा सकते तथा उसी याचिका में स्वयं राज्य सरकार ने कहा कि “ याचिकाकर्ता ने परीक्षा में पूरी जानकारी और समझ के साथ भाग लिया था, और अब वह परीक्षा की प्रक्रिया को चुनौती नहीं दे सकते। उन्होंने अपने तर्क को मजबूत करने के लिए माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय Anupal Singh & Others बनाम उत्तर प्रदेश राज्य, (2020) 2 SCC 173 का हवाला दिया। जब वह परीक्षा में असफल हो गए, तभी उन्होंने इसकी वैधता को चुनौती दी है, जो कि विधिसम्मत नहीं है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि राज्य द्वारा निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई गई थी और सभी उम्मीदवारों को बराबरी का अवसर दिया गया, अतः यह याचिका खारिज की जानी चाहिए।“
उसके बावजूद भी उच्च स्तरीय जांच समिति ने परीक्षा संचालन प्रक्रिया पर सवाल उठाया और माननीय उच्च न्यायालय के आदेश को नजरअंदाज़ किया
माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर का WPS 1832 OF 2024 का निर्णय:—
“याचिकाकर्ता द्वारा उठाया गया अन्य तर्क भी अस्वीकार किए जाने योग्य है, क्योंकि याचिकाकर्ता ने पूर्ण जानकारी और सहमति के साथ परीक्षा में भाग लिया था, अतः वह परीक्षा संचालन निकाय द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया की वैधता को चुनौती नहीं दे सकते। यह सिद्धांत माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय — Anupal Singh (उल्लेखित) — में विधिसम्मत रूप से स्थापित किया जा चुका है। अतः यह तर्क अस्वीकार किया जाता है। याचिकाकर्ता द्वारा यह भी कहा गया कि आपत्तियाँ आमंत्रित की गई थीं परंतु उन्हें विधिपूर्वक नहीं निपटाया गया, यह तर्क भी अस्वीकार किया जाता है क्योंकि याचिकाकर्ता द्वारा यह सिद्ध करने हेतु कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए गए कि उन्होंने क्या आपत्ति उठाई थी और कब उठाई थी। इसलिए यह आधार भी अस्वीकार किया जाता है।“
🔹 14 जनवरी 2025: माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर द्वारा WPS 7889 ऑफ 2024 में 15 दिवस में चयनित अभ्यर्थियों को राजस्व निरीक्षक प्रशिक्षण में भेजने हेतु शासन से कहा था और मजे की बात की इस वाद में स्वयं शासन ने 15 दिवस में प्रशिक्षण प्रारंभ करने की बात कही थीl इस दिनांक की सुनवाई में शासन से राजस्व निरीक्षक प्रशिक्षण विभागीय परीक्षा में प्रशिक्षण प्रारंभ के संबंध में जवाब मांगा गया था परन्तु शासन इसमें कोई गंभीरता नहीं दिखाई उच्च स्तरीय जांच प्रतिवेदन शासन के पास दिनांक 02.12.2024 को उपलब्ध होने के बावजूद उच्च न्यायालय बिलासपुर के समक्ष पेश नहीं किया गया तथा याचिका में शासन की पैरवी कर रहे वकील ने टेलीफोनिक ही शासन से ट्रेनिंग भेजने हेतु समय सीमा की मांग है जिसमें शासन ने 15 दिवस के भीतर प्रशिक्षण में भेजने का फैसला माननीय उच्च न्यायालय को बताया था
🔹 16 जनवरी 2025: माननीय उच्च न्यायालय द्वारा WPS 7889 ऑफ 2024 में 15 दिनों में प्रशिक्षण में भेजने का फैसला देने के बाद भी आन फानन में राजस्व विभाग के अवर सचिव द्वारा ACS गृह विभाग को राजस्व निरीक्षक प्रशिक्षण विभागीय परीक्षा वर्ष 2024 की जांच हेतु पत्राचार किया जिसमें शिकायत उल्लेखित कोंडागांव के 7 अभ्यर्थियों जिसमें 3 पास और 4 फेल हुए थे कि जांच एवं एक अधिकारी हेमन्त कौशिक की जांच पुलिस से कराने की बात लिखी गई थी
शासन उच्च स्तरीय जांच कमेटी की रिपोर्ट प्राप्ति के पश्चात 2 महीनों तक इस रिपोर्ट में कोई निर्णय नहीं लेती लेकिन जैसे ही उच्च न्यायालय ने दखल दिया और 15 दिनों में प्रशिक्षण भेजने की बात कही तब शासन गृह विभाग को जांच हेतु पत्राचार करती है
🔹 30 जनवरी 2025: राजस्व निरीक्षक विभागीय परीक्षा उत्तीर्ण और अभ्यर्थियों ने प्रशिक्षण प्रारंभ करने हेतु wps 846 ऑफ 2025 दायर की इस वाद में भी शासन ने उच्च न्यायालय के 15 दिनों में प्रशिक्षण में भेजने की बात को स्वीकार कर ली तथा उच्च न्यायालय के समक्ष ना ही उच्च स्तरीय जांच कमेटी की रिपोर्ट प्रस्तुत की और ना ही गृह विभाग की लिखे पत्र की जानकारी दी मतलब साफ थी कि शासन केवल मामले को लटका कर अभ्यर्थियों के करियर के साथ खिलवाड़ कर रही थी
🔹 31 जनवरी 2025: जब अन्य राजस्व निरीक्षक प्रशिक्षण विभागीय परीक्षा वर्ष 2024 उत्तीर्ण अभ्यर्थियों ने देखा कि शासन 2 याचिकाओं में कुछ भी बात न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत नहीं कर रही तब लगभग 134 अभ्यर्थियों ने एक जूट होकर उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका क्रमांक WPS 1205 और 1206 दिनांक 31.01.2025 दायर की थी,जिसमें शासन को जब उच्च न्यायालय ने दिनांक 18.02.2025 तक अपना जवाब और उच्च स्तरीय जांच कमेटी की रिपोर्ट जमा करने हेतु कड़े निर्देश दिए तब जाकर शासन ने समस्त जानकारी उच्च न्यायालय में पेश की
चूंकि अब शासन ने कमिटी की रिपोर्ट व अपनी जवाब याचिका प्रस्तुत की जिसका उत्तर जवाब हमारे द्वारा दिया गया और वहां उच्च न्यायालय ने जब कमेटी के निष्कर्ष को पढ़कर यह इशारा किया कि गृह विभाग कोई जांच कर नहीं रही थी तथा और कोई भी जांच शासन करा नहीं रही तो प्रशिक्षण भेजा जा सकता है
तभी शासन द्वारा मामले को एक बार फिर नई एजेंसी EOW/ACB से जांच कराने का एक नया पत्र दिनांक 04.03.2025 को जारी कर दी जाती है अब शासन कब तक इस जांच पूर्ण कर लेगी ऐसा कोई भी समय सीमा निर्धारित नहीं कर पाई है
समस्त घटना क्रम अवलोकन करने से स्पष्ट है कि वर्तमान शासन द्वारा राजस्व निरीक्षक प्रशिक्षण विभागीय परीक्षा वर्ष 2024 का आयोजन किया जाता है शासन प्रारंभ में ही अप्रैल 2024 में wps 1832 of 2024 में उच्च न्यायालय में इस विभागीय परीक्षा को निष्पक्ष और पारदर्शी बताने के बावजूद तथा शिकायतकर्ताओं के बिना ठोस साक्ष्य या सबूत के शिकायत की जांच करवाती है फिर शासन की स्वयं की उच्च स्तरीय जांच समिति निष्कर्षित करती है कि विभागीय परीक्षा 2024 नियमानुसार पूर्व वर्षों की भांति आयोजित की गई है मात्र परीक्षा संचालन में त्रुटियां बताती है माननीय उच्च न्यायालय भी WPS 1832 7889 846 में परीक्षा को क्लीन चिट देती है ट्रेनिंग शुरू करने आदेशित करती है फिर शासन इस मामले में केवल मीडिया ट्रायल के आधार पर ही निर्णय लेती हैं और स्वयं विधानसभा में खुद अपने कार्यकाल में परीक्षा को धांधली बताती है
अतः, हम समस्त चयनित अभ्यर्थी विनम्र निवेदन करते हैं कि उक्त संपूर्ण प्रकरण का न्यायोचित रूप से परीक्षण करते हुए —
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सादर,
(चयनित अभ्यर्थियों की ओर से)
राजस्व निरीक्षक प्रशिक्षण विभागीय परीक्षा वर्ष 2024
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