मानक धान को अमानक व अमानक को मानक बताकर किसानों से पैसे ऐंठ रहा फण प्रभारी....सुबह से साम तक बैठा रखा किसानों को अधिकारियों के फटकार के बाद खरिदी धान...
ये पुरा मामला मुंगेली जिले के विकासखण्ड पथरिया अंतर्गत धान खरीदी केंद्र सिलदहा का है। जहां फण प्रभारी द्वारा प्रारंभ से ही धान की गुणवत्ता को लेकर किसान को परेशान करने की जानकारी मिल रही थी। वहीं बीते दिन 16 जनवरी को धान की गुणवत्ता को लेकर किसानों के धान को अमानक बताकर खरिदने से इंकार किया जा रहा था। वहीं एक-दो किसान के अमानक धान को खरिदा जा रहा था। जहां कुछ किसानों ने आपत्ति जताई और मानक धान को अमानक बताने पर विरोध जताया तब फण प्रभारी द्वारा अधिकारियों का हवाला देते हुए किसानों को सुबह से साम तक बैठा रखा। वहीं जिस अमानक धान को लेन-देन कर खरिदने की पुरी तैयारी कर चुके थे उक्त धानों को अधिकारियों के आने से पहले वापस कर दिया गया। इस बीच किसानों ने बताया कि फण प्रभारी पैसे लेकर अमानक को मानक और मानक को अमानक बताकर पैसे की मांग करता है, नहीं देने पर किसानों को देर तक बैठाकर परेशान किया जाता है। 16 जनवरी को भी कुछ ऐसा ही मामला था जहां किसान रामनारायण पाटले के मानक धान को अमानक बताकर खरिदने से मना किया जा रहा था। वहीं ओमप्रकाश अग्रवाल, द्रौपदी श्याम सुंदर के अमानक धान को खरिदने की तैयारी हो चुकी थी।
हालांकि अधिकारियों के आने से पहले अमानक धान को छंटनी कर वापस दिया गया ताकि अधिकारियों के सामने और बखेड़ा न हो। बड़े इंतजार के बाद देर साम खाद्य निरीक्षक व तहसीलदार फण पहुंचे जहां किसानों के धान का निरीक्षण किया जिसमें एक किसान के धान को पुराना बताकर वापस भेज दिया गया। वहीं जिस धान को फण प्रभारी द्वारा अमानक बताया जा रहा था उक्त धान का निरीक्षण किया गया,जहां मानक पाया गया जिस पर अधिकारियों ने फण प्रभारी को फटकार लगाई और उक्त धान को खरिदने निर्देशित किया गया। तब जाकर किसान ने राहत की सांस ली।
परंतु सवाल है कि आखिरकार किसानों को सुबह से लेकर साम तक परेशान करने का सिलसिला कब तक चलता रहेगा। बेचारे किसान सुबह से धान लेकर खरिदी केन्द्र पहुंचे रहते हैं जिन्हें किसी न किसी तरह से परेशान किया जाता है। जो किसान फण प्रभारी को मन मुताबिक दक्षिणा दें दे तो ठीक नहीं तो देर साम तक बैठा कर रख दिया जाता है ताकि किसान परेशान हो जाए और प्रभारी की बात मानकर मन मुताबिक सेवा करे। ऐसे मामलों को अधिकारी गंभीरता से ले ताकि किसानों को परेशानियों का सामने न करना पड़े।
पैसे ऐंठने धान की गुणवत्ता पर उठाते हैं सवाल - किसानों की मानें तो फण प्रभारी डाकेश्वर कश्यप द्वारा किसानों से अवैध वसूली कर रहें हैं जिनके द्वारा किसानों से पैसे की मांग की जाती है। नहीं देने पर मानक धान को अमानक बताकर परेशान किया जाता है और देर साम तक बैठाकर रखा जाता है। ताकि किसान थक-हारकर फण प्रभारी की बात मान जाए और लेन-देन कर मामला सलटा ले....
पैसे लेकर अमानक को मानक बताकर खरिदी - किसानों की मानें तो फण प्रभारी अपने मुताबिक धान खरीदी कर रहें हैं पैसे दे तो अमानक धान को भी मानक बना दिया जाता है। मौके पे ऐसे करिब 15-20 कट्टी धान अमानक पाया गया जिसे विरोध के बाद वापस किया गया जो फण प्रभारी के काली करतूत को उजागर कर रही है। अब ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रभारी द्वारा किस तरह से लापरवाही बरती जा रही है।
अधिकारियों के फटकार के बाद खरिदी धान - फण प्रभारी द्वारा किसान के मानक धान को अमानक बताकर कर देर साम तक परेशान किया गया। अधिकारियों ने उक्त धान को मानक पाया जिस पर प्रभारी को फटकार लगाई और उक्त धान को खरिदने निर्देशित किया तब जाकर प्रभारी ने धान की खरिदी की।
किसानों को किया जाता है परेशान - उक्त खरिदी केन्द्र से संबंधित किसानों से मिली जानकारी के मुताबिक फण प्रभारी डाकेश्वर कश्यप द्वारा किसानों को धान की गुणवत्ता को लेकर परेशान किया जाता है। कहीं धान की गुणवत्ता को लेकर तो कहीं समय को लेकर किसानों को देर तक बैठाकर रखा जाता है ताकि किसान उनकी मांगे पुरी कर दें..…
वैसे तो क्षेत्र में और भी खरिदी केन्द्र हैं परन्तु ऐसे मामले यहीं से निकलकर सामने आ रही है जो गंभीर विषय है, क्योंकि शासन का सख्त निर्देश है कि धान खरिदने में किसानों को परेशानी नहीं होनी चाहिए। इसके बाद भी इस तरह के मामले का सामने आना प्रशासनिक अधिकारियों की लचर व्यवस्था को उजागर कर रही है। अब देखना होगा कि उक्त मामले के उजागर होने बाद अधिकारी उस सुधार करने पहल करते हैं या यूं ही चलता रहेगा।
0 टिप्पणियाँ