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एसईसीएल भटगांव क्षेत्र के भटगांव - जरही अंतर्गत बने कर्मचारियों के आवासों में अवैध कब्जा,जिम्मेदार बने मूकदर्शक

 ◆ एसईसीएल भटगांव क्षेत्र के भटगांव - जरही अंतर्गत बने कर्मचारियों के आवासों में अवैध कब्जा,जिम्मेदार बने मुकदर्शक

साउथ ईस्टर्न कोयला मजदूर कांग्रेस - इंटक ने अवैध कब्जा हटाने मुख्य महाप्रबंधक के नाम सौंपा ज्ञापन

भटगांव - जरही एसईसीएल के विभागीय आवासों में लंबे समय से बाहरी लोगों का कब्जा है और लगातार जारी है. इन अवैध कब्जेधारियों को कब हटाएगा प्रबंधन जो कुंभकर्ण की नींद में सो रही है और कर्मचारी किराए के मकानों में रहने को मजबूर हो रहें है।

  सूरजपुर जिले में एसईसीएल भटगांव - जरही के विभागीय आवासों में लंबे समय से बाहरी लोगों का कब्जा बना हुआ है और लगातार प्रबंधन के उदाशीन रवैया के कारण कब्जा करने का काम जारी है फिर वो ठेकेदार हो, शिक्षक हो, व्यापारी ही या फिर आम जनता जिनके द्वारा कई आवासों पर कब्जा किया गया है और लगातार कब्जा करने का खेल लगातार जारी है, . इसकी वजह से विभागीय कर्मचारियों को आवास नहीं मिल पाता. अब एसईसीएल भटगांव के जिम्मेदार अधिकारी इस दिशा में अवैध कब्जा को हटाने और कार्यवाही कब करेंगे यह कहना शायद जल्दबाजी होगी क्योंकि जिम्मेदार अधिकारियों को जो अवैध कब्जा का खेल जो आवासीय मकान में चल रहा है उसका इन्हें अच्छे से जानकारी है फिर भी ये जिम्मेदार अधिकारी कार्यवाही करने और उनको हटाने में कोई रुचि नहीं लेते जो वर्षों से खेल खेला जा रहा है।

एरिया संपदा अधिकारी इन अवैध कब्जाधारियों को हटाने के दिशा में ना तो नोटिस देना जरूरी समझता है और न हीं उनका जांच कर हटाने के दिशा में कार्य करना जरूरी समझती है फिर अवैध कब्जाधारियों पर कानूनी कार्यवाही की बात तो दूर-दूर तक नहीं सोची जा सकती आखिर ऐसा क्या कारण है कि इन जिम्मेदार अधिकारियों के हाथ ऐसे अवैध कब्जाधारियों पर कार्यवाही करने पर रुक जाती यह सवाल सदियों से सवाल बनकर ही चल रहा है जो शायद अभी सवाल ही बनकर रह जाए।

एसईसीएल भटगांव एरिया में भटगांव और जरही अंतर्गत हजारों मकान बने हुए हैं. इसमें रिटायर कर्मचारी, शिक्षक, ठेकेदारों, अन्य शासकीय कर्मचारी सहित बाहरी लोगों ने अवैध कब्जा किया हुआ है।

एसईसीएल भटगांव से विश्रामपुर तक फैला कब्जाधारियों का वर्चस्व

एसईसीएल के विश्वामपुर साइंडिंग में पदस्थ सीनियर क्लर्क जो कि पिछले 15 वर्षों से लगातार साईडिंग में पदस्थ हैं और आज तक उसका स्थानान्तरण नहीं हुआ जिसका खेल तो अजीबो गरीब है - उसके नाम पर. बी-60 मकान आबंटित है परन्तु वह उसमें नहीं रहता है उसे आमगांव में पदस्थ फोरमैन नायडू को किराया पर दे रखा है। 2ए-26 को नायडू, फोरमेन आमगाँव के नाम से आवंटित कराकर अपनी दूसरी पत्नी को दे रखा है। एम-84 को तेजनारायण के नाम से आबंटित कराकर रखा है जो कि रेहर खदान में कायरत है और एम-85 को रामचन्दर यादव के नाम से आबंटित कराकर रखा है और दोनों क्वाटर में स्वयं अपने पहली पत्नी के साथ रहता है इन दोनों व्यक्तियों को निलंबित किया जाए क्योंकि ये दोनों अवैध कार्य कर मंगला सिंह यादव से मासिक किराए ले रहे हैं। मकान नं. एम-75 पूरन चन्द (फिल्टर प्लान्ट) विश्रामपुर के नाम से आवंटित है और एम-76 दिगम्बर प्रसाद के नाम से आबंटित है जो कि बलरामपुर खदान में कार्यरत है इन दोनों मकानों को भी मंगला सिंह यादव इन दोनों व्यक्तियों से लेकर अपने बड़े भाई कमला सिंह यादव को दे दिये है और ये दोनों व्यक्ति मंगला सिंह यादव से महीना किराया लेते हैं। इन दोनों व्यक्तियों का निलंबन किया जाए। इसके अलावा एम-751, 756, 757, 774 और कई ऐसे क्वाटर है जिसे दूसरे व्यक्तियों के नाम से एलॉट कर प्राईवेट व्यक्ति को इस क्वाटर में घुसाकर महीने पैसे की उगाही करता है मंगला सिंह यादव। मकान नं. एम-774, रमेश सब्जी एम-678, संतोष धोबी एम-1099, आशुतोष एम-1066 प्राईवेट शिक्षक एम-1113, प्राईवेट कर्मी एम-757, सद्दाम एम-756, प्राईवेट कर्मी एम-945 इन सभी मकानों में फर्जी एलाटमेन्ट कराकर मंगला सिंह यादव 2000/- रूपये प्रतिमाह रूपये वसूलता है। एक मकान जरही कॉलोनी में मंगला सिंह यादव ने बी-टाईप-299 शक्तिनगर जरही भटगाँव में कब्जा कर अपने बड़े भाई कमला सिंह यादव व भतीजे को दे दिया है।

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